सोमवार, 2 जुलाई 2018

बॉलीवुड का एक नायाब हीरा - इरफान खान


इरफ़ान खान वो शकसियत है जिसने अपना नाम जहाँ में खुद एक ईंट दर ईंट जोड़ कर बनाया है. उन्हें अनेकों अलग-अलग किरदार बखूबी निभाते देखा है हमने. चाहे गंभीरता हो या छोटे रिचार्ज का ह्यूमर वो अपना काम बढ़िया करते हैं. एक बार फिर वो आ रहें है अपनी नयी फिल्म कारवां के साथ. ये एक  कॉमिक ड्रामा है।

इरफ़ान का पूरा नाम है साहबजादे इरफ़ान अली खान और उन्होंने अपने नाम में एक अतिरिक्त R जोड़ा है जिसके कारण अब वो हैं Irrfan Khan. ये अतिरिक्त R उन्हें किसी न्यूमेरोलोजिस्ट ने नहीं बताया ये उनका अपना निर्णय है. उन्हें अपना इतना लम्बा नाम पसंद नहीं था इसलिए वो इसे छोटा करते रहे और अब वो सिर्फ इरफ़ान हैं. इरफ़ान जयपुर के एक गाँव टोंक में पैदा हुए थे और इनके परिवार का रजवाड़ों से अच्छा संपर्क था. इनके पिता जमींदार थे और चाहते थे कि उनके बेटे उनका व्यवसाय संभाले. अच्छा ही हुआ जो इरफ़ान व्यवसाय की और नहीं झुके नहीं तो बॉलीवुड को ऐसा गंभीर और बहुमुखी अभिनेता कैसे मिलता.

लंच बॉक्स एक मात्र ऐसी भारतीय फिल्म है जिसने TFCA – Toronto Film Critics Association Award जीता है. Amazing Spider Man के बाद उन्हें Interstellar में कम करने का ऑफर भी आया था पर उन्होंने अस्वीकार कर दिया क्यूंकि उन्हें लगर ४ महीने अमेरिका में रुकने के लिये कहा गया था और उस समय वो D-Day & Lunchbox के लिए वचनबद्ध थे. Slumdog Millionaire की सफलता के बाद कोडक थिएटर (जहाँ औस्कर्स स्टेज किये गये थे) के बाहर Julia Roberts ने उन्हें बधाई देने के लिए रुक कर इरफ़ान का इंतजार किया था.

इरफ़ान पढ़ने का बेहद शौक रखते हैं. वो हर हफ्ते लगभग 1 हॉलीवुड फिल्म की स्क्रिप्ट ज़रूर पढ़ते हैं जिससे अपने किरदार बेहतर तरीके से निभा पायें. वो अपनी स्क्रिप्ट्स को लेके इतने गंभीर हैं की उनकी लेखिका पत्नी स्तुपा सिकदर को “बनेगी अपनी बात” के कई एपिसोड कई कई बार लिखने पड़े. ये वो टीवी सीरियल है जिसके लगभग 200 एपिसोड इरफ़ान ने सन 1990 में निभाए.

उन्हें दो बार Los Angeles Airport पर रोका गया क्यूंकि उनका नाम किसी आतंकवादी के नाम का संशय देता था. इरफ़ान मुस्कुरा के कहते हैं “अब वो मुझे पहचानते हैं”. वो ख्वाइश रखते हैं कि एक दिन वो रुपयों से भरा सूटकेस अपनी माँ को तोहफे में दे सकें.

उनकी पहली फिल्म थी  सन 1988 में बनी “सलाम बॉम्बे”. पर जब फिल्म आई तो उनका पूरा रोले ही उसमे से काट दिया गया था. इरफ़ान ने टीवी पर भी बहुत सारा काम किया है. जैसे चाणक्य, भारत एक खोज, सारा जहाँ हमारा, श्रीकांत, चंद्रकांता, अनुगूंज और स्पर्श जैसे चर्चित सीरिअल्स का वो हिस्सा रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने दूरदर्शन पर एक टेलीप्ले “लाल घास पर नीले घोड़े” में भी अभिनय किया है.

एक समय ऐसा भी आया जब वो टेलेविसिन से पूरी तरह ऊब चुके थे और उन्होंने एक्टिंग पूरी तरह छोड़ने का फैसला कर लिया. पर उसी समय उन्हें मिली आसिफ़ कपाडिया की फिल्म “Warrior” जिसने उनके अन्दर उस आग को दोबारा भड़का दिया. वो अब हॉलीवुड में काफी मशहूर ज़रूर हैं पर फिल्मों में उन्हें पहली पहचान ब्रिटिश-भारतीय फिल्मकार कपाडिया की Warrior से ही मिली.

पिछले कुछ वक़्त से इरफान एक गंभीर बीमारी न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर से जूझ रहे हैं। ये एक दुर्लभ प्रकार का केन्सर है। उनके सभी चाहने वाले उनकी अच्छी सेहत की दुआ करते हैं। मकबूल, पीकू, हैदर, तलवार, जज्बा, मदारी और अनगिनत अनेकों बेहतरीन किरदार निभाने के साथ हॉलीवुड में भी अपनी एक्टिंग का डंका बजवाने के बाद इरफ़ान एक बार फिर आ रहे हैं अपनी फिल्म “कारवां” के साथ. उनकी आगामी फिल्म और सेहत के लिए ढेर सारी शुभकामनायें।

2 टिप्‍पणियां:

  1. ईश्वर से प्रार्थना है कि जिस तरह से इरफ़ान खान ने अपनी फिल्मों में सशक्त अभिनय किये हैं उसी क्षमता से अपनी बीमारी से भी लड़कर जीवन में सफलता प्राप्त करें I

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  2. बहुत ही अच्छा लेख है यह । हार्दिक आभार एवं अभिनंदन । मैं ख़ुद इरफ़ान का उस जमाने से शैदाई हूँ जब वे 'बनेगी अपनी बात' में जवान होते हुए भी अधेड़ शख़्स का किरदार निबाहा करते थे । बाद में उन्होंने नीरजा गुलेरी के धारावाहिक 'चंद्रकांता' में बद्रीनाथ की भूमिका में भी मुझे बहुत प्रभावित किया । और जिस दिन मैंने 'द लंचबॉक्स' फ़िल्म देखी, उस दिन से मैं उनका कट्टर प्रशंसक बन गया । भारतीय कला जगत के रत्न हैं वे । ईश्वर उन्हें दीर्घायु करे ।

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