रविवार, 17 जून 2018

हुआ पुराना पर गुज़रा नहीं वो ज़माना


यूं तो दौर आते हैं और गुज़र जाते हैं। आज जो नया है कल वो पुराना होगा। आज जो ट्रेंडिंग है कल वो गुज़रा ज़माना होगा। आज जो हमारे लिए है कूल उसे जाएंगे कल हम भूल। पर क्या हम सब कुछ भुला सकते हैं, या सब कुछ जो आज है वो कल नहीं होगा? क्या सचमुच जो आज कूल है उसे हम कल भूल जाने वाले हैं? नहीं! हर बात, चीज़ या घटना इस श्रेणी मे नहीं आती। क्यूंकी आज भी ऐसा बहुत कुछ है जिसे आए हुए या घटे हुए एक लंबा समय गुज़र गया, पर फिर भी वो हमारे जीवन मे अपनी जगह बनाए हुए हैं।

आइये आज फिर वो गुज़रा ज़माना याद करे जो असल मे गुज़रा ही नहीं:

1. गूगल:
Stanford, California की Stanford University मैंने डोक्ट्रेट के दो छात्र Larry Page और Sergy Brin ने मिल कर जनवरी 1996 में शुरू किया था अपना ये रिसर्च प्रोजेक्ट जिसे हम सब गूगल के नाम से जानते हैं। एक ऐसा सर्च इंजन जिसने इनटरनेट के क्षेत्र मे क्रांति ला दी और दुनिया का रुख ही बदल कर रख दिया। आज हर वो नौजवान भी इसका इस्तेमाल करता है जो तब पैदा भी नहीं हुआ था। हर ताले की चाबी, हर सवाल का जवाब, हर मुश्किल का हल होता है गूगल के पास। स्कूल का होमवर्क हो या ऑफिस के खाते, नेविगेशन हो या कोई भी जानकारी, यात्रा प्लान करनी हो या मीटिंग वेन्यू, देश दुनिया की खबर लेनी हो या फिर अपनों की, गूगल आपको सब बताएगा। इसलिए अब तो हिन्दुस्तानियो ने अपनी भाषा मे इसे गूगल बाबा कहना शुरू कर दिया है। हर मुश्किल का बस एक रास्ता गूगल बाबा। जो इनकी शरण मे आता है खाली हाथ नहीं जाता।

2. विकिपीडिया:
गूगल के 5 साल बाद 2001 में एक और ज़बरदस्त प्रोजेक्ट आया जिसे हम विकिपीडिया कहते हैं। किसी भी मुद्दे या जानकारी पर आपको प्रामाणिक रिसर्च करनी हो तो बस उसका विकिपीडिया पेज खोलिए ओर उस घटना, व्यक्ति इत्यादि से संबन्धित पूरा और विस्तृत ज्ञान प्राप्त करिए। ये एक मुफ्त ऑनलाइन विश्वकोश है जो विकिमीडिया फ़ाउंडेशन से सहयोग प्राप्त परियोजना से उत्पन्न हुआ। यहाँ विकी का अर्थ है जल्दी और पीडिया लिया गया है एनसाइक्लोपेडिया से जिसका अर्थ होता है संयोजन। इसकी शुरुआत करने वाले ‘Jimmy Wales’ और ‘Lary Sengar ने इसे विशेषता दी है कि इसमे लिखे गए लगभग सभी लेखों मे कोई भी व्यक्ति सम्पादन कर सकता है जो विकिपीडिया वैबसाइट का उपयोग कर सकता है। यह आज भी सबसे लोकप्रिय है और अनंतकाल तक रहेगा।

3. साराभाई vs साराभाई:
2005 मे प्रसारित हुआ ये मशहूर कॉमेडी सीरियाल हमारी ज़िंदगियों मे हास्य की बहार ले आया था। हाई प्रोफाइल सास माया साराभाई और उनकी मिडिल क्लास बहू मोनिशा साराभाई के बीच की नोकझोंक, रोसेश की मज़ेदार कवितायें, इंदरवदन द्वारा उड़ाया गया माया और रोसेश का मज़ाक और माया-मोनिषा के बीच फंसा साहिल साराभाई’, सभी पात्र जैसे चुन-चुन के हीरे की तरह जड़े गए थे इस सीरिस में। जिनहोने मिल के ढेर सारा मनोरंजन किया हमारा। इस सिरियल को आलोचक और जनता दोनों की ही तरफ से सकारात्मक टीआरपी मिली। इस सीरीज़ के खत्म होने के बाद सबको बहुत उम्मीदें थी कि इसका सीकुयल ज़रूर आएगा और पिछले वर्ष आया भी पर टेलिविजन पर नहीं इसे ऑनलाइन सीरीज़ के रूप में हॉटस्टार नमक एपलीकेशन पर लॉंच किया गया। पर इस बार उसमें वो बात नहीं थी और ये सीकुयल कामयाब नहीं हुआ।

4. कुछ कुछ होता है:
धर्मा प्रॉडक्शन के तले बनी करण जौहर द्वारा लिखित और निर्देशित ये फिल्म सन 1998 की सबसे लोकप्रिय और महत्त्वपूर्ण स्मृति है। दो प्रेम त्रिकोणों का वो अद्भुत संगम या समागम, जो भी कहिए पर प्रेम कहानियों मे अपने आप मे एक खूबसूरत प्रेम कहानी थी इस फिल्म की कहानी। ऊपर से सोने पे सुहागा  जतिन-ललित का वो बेहद खूबसूरत संगीत, जिसे सब आज भी कहीं न कहीं गुनगुनाते ही रहते है। शाहरुख खान, रानी मुखर्जी और काजोल की वो अनोखी जोड़ी ने हमारे सामने ऐसी कहानी प्रस्तुत की जिसे हम आज भी हमारे दिलो-दिमाग मे ज़िंदा रखे हैं।

5. नोकिया 3310:
वो भी एक ज़माना था जब नया-नया मोबाइल का दौर आया था। Nokia 3210 के बाद सन 2001 मे नोकिया ने लॉंच किया 3310 जिसकी गजब की बिक्री हुई थी उस समय, क्यूंकी वो कुछ ऐसे नए फीचर्स लेके बाज़ार मे उतारा गया था जो उस समय एक मोबाइल मे उपलब्ध नहीं थे। केलकुलेटर, नोकिया नेटवर्क मॉनिटर, रिमाइन्डर फंकशन और स्टॉप वॉच इसकी मुख्य विशेषताएँ थी। उस समय इसमे 4 गेम भी डाले गए थे Paris II, Space Impact, Snake II और Bantumi। ये फोन अपनी वॉइस डाइलिंग और लंबे मेसेजिस (459 characters) की क्षमता के कारण भी बहुत प्रसिद्ध हुआ था। इसकी एक बड़ी खूबी थी कि इसे ऊंचाई से फेंक भी दीजिये तो कोई नुकसान नहीं होता था। कुछ के लिए तो ये हथियार भी हो सकता है क्यूंकी सच है फेंक के मार दो तो बड़ी ज़ोर से चोट कर सकने की क्षमता वाला फोन है ये। लोग आज भी इसका प्रयोग करते मिल ही जाएंगे जो इसे एक मजबूत और भरोसेमंद फोन मानते हैं।

6. कंधार प्लेन हाइजैक:
24 दिसंबर 1999 को घटी इस विमान अपहरण की आतंकवादी घटना ने सारे देश को हिला कर रख दिया था। जिसमे हुए शारीरिक और मानसिक नुकसान को आज भी हम भुला नहीं पाये हैं। इंडियन एयरलाइंस फ्लाईट 814 काठमांडू से नई दिल्ली आने वाले इस विमान को पाकिस्तान स्तिथ एक आतंकवादी संगठन हरकत-उल-मुजाहिद्दीन के सशस्त्र बंदूक धारियों ने अपहृत कर लिया था। 176 यात्रियों मे से 26 को गंभीर रूप से घायल कर दुबई उतार दिया गया था। उसके बाद कंधार, अफगानिस्तान मे विमान को उतारने पर मजबूर किया। विमान मे अधिकतर भारतीय थे और नेपाल से छुट्टियाँ मना कर वापस लौट रहे थे। 3 गंभीर और खतरनाक आतंकवादीयों (मौलाना मसूद अजहर, अहमेड उम्र सईद शेख और मुश्ताक़ अहमेड जरगर) की रिहाई के बाद ही इस फ्लाइट के बंधको को छुढ़ाया जा सका।  इस दुर्घटना मे एक मात्र मृत व्यक्ति था रुपिन कत्याल जो अपनी नवविवाहित पत्नी के साथ अपने हनीमून से लौट रहा था और उस पर लगातार कई बार चाकुओं से वार किया गया था।

7. टाइटेनिक:
1997 मे बनी एक अमरीकन एपिक, रोमांस-डिज़ास्टर फिल्म टाइटेनिक ने दुनिया भर के सामने 1912 मे घटी उस हृदयविदारक घटना को एक प्रेम कहानी के माध्यम से चित्रांकित कर दिया। एक बड़े, विशाल और महान “कभी न डूब सकने वाले” पानी के जहाज की वो दुखद कहानी को ‘James Cameron’ ने इतने खूबसूरत ढंग से पेश किया कि आंखो मे आँसू भी आए, दिल भर भी आया और प्रेममय भी हो गया। टाइटेनिक की दुर्घटना से कौन वाकिफ नहीं पर जैक और रोज़ के उस गहन प्रेम ने इस फिल्म को अमर कर दिया। टाइटेनिक उन फिल्मों से एक है जो सदाबहार होती हैं। पुरानी है पर भुलाई नहीं गयी। उस फिल्म का एक मात्र गाना “My heart will go on…..” इतना कर्णप्रिय और सुंदर है कि इतने साल बीतने बाद भी जब आप उसे सुनते हैं तो जैक और रोज़ का टाइटेनिक के एक ऊंचे किनारे पर हाथ फैलाए खड़े होने का वो अविस्मरणीय दृश्य आंखो के सामने प्रत्यक्ष हो जाता है।

8. ईडेन गार्डेन का वो ऐतिहासिक क्रिकेट मैच:
11-15 मार्च 2001 तक चला भारत-औस्ट्राइलिया के बीच बार्डर-गावस्कर ट्रॉफी के अनतर्गत वो दूसरा टेस्ट मैच ऐतिहासिक था। जहां औस्ट्राइलियन टीम लगातार 16 टेस्ट मैच जीत कर अपने चरम पर थी वही भारत ने ये टेस्ट मैच 171 रनों से जीता। सौरव गांगुली की कप्तानी मे ये मैच वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ की शानदार बैटिंग, हरभजन सिंह की हैट्रिक और सचिन तेंदुलकर के उस विकेट टेकिंग स्पैल के लिए हमेशा याद किया जाता है।

9. हैरी पॉटर की पहली किताब:
जे.के.रोलिंग द्वारा अँग्रेजी मे लिखी गयी हैरी पॉटर सीरीज़ की पहली किताब हैरी पॉटर एंड दि फिलोसोफर्स स्टोन आई थी 30 जून 1997 को। एक ऐसी अनोखी कल्पना जिसने हमारे सामने एक जादु-टोने और तंत्र-मंत्र के विद्यालय और उसमे पढ़ने वाले जादूगरों/डायनों से हमारा परिचय कराया। एक 11 साल का बच्चा हैरी जो अपने जादूगर माता-पिता को छोटी उम्र मे ही खो चुका है और जिनहोने उसकी जान बचाते हुए अपनी जान दी, वो कैसे बड़ा होकर एक बेहतरीन जादूगर बनता है और उस दुष्ट धूर्त जादूगर से लड़ता है। यही है हैरी की कहानी जो कुल 8 किताबों मे है। इसे इतना पसंद किया गया कि इस पर फिल्मे बनाई गयी और फिल्मों को भी किताबों कि ही तरह ढेर सारा व्यापार और प्रशंसा मिली। हैरी पॉटर के दीवाने सिर्फ बच्चे ही नहीं बड़े भी है और हर कोई चाहता है कि इन किताबों और फिल्मों का सिलसिला कभी थमे ही नहीं बस चलता रहे। रोलिंग ने अपनी नवीं किताब “द कर्स्ड चाइल्ड को पूरा कर बाज़ार मे निकाल दिया है और जल्द ही अगली फिल्म भी आने वाली है। 

10. खिचड़ी:
UTV Software Communications ने स्टार प्लस पर 10 सितंबर 2002 को अपना डेब्यु किया था इस कॉमिक सीरीज़ के जरिये। खिचड़ी को आलोचकों और जनता दोनों से ही इतना प्रोत्साहन और प्रशंसा मिली कि इसे कई बार स्टार और उसके अन्य सहयोगी चेनल्स पर दोहराया गया। इसे आज तक कि सबसे बेहतरीन सिचुएशन कॉमेडी का खिताब हासिल हुआ। पारिखों का वो गुजराती संयुक्त परिवार जो आम लोगो कि तरह रोज़मर्रा कि जिंदगी से जूझते हुए अपनी समस्याओं का विशेष हल निकालते हैं और हास्य पैदा करते हैं। खिचड़ी ने अनेकों खिताब जीते और इसे इतना पसंद किया गया कि आगे समय मे इसे एक फिल्म कि तरह बनाया गया और 1 अक्तूबर 2010 को रिलीज़ किया गया। कमाल कि बात ये रही कि इसने उस समय कि एक बड़े बजट की फिल्म अंजाना अनजानी को कड़ी टक्कर दी। खिचड़ी एक बार फिर नयी सीरीज़ के रूप में स्टार प्लस पर प्रसारित हो रहा है।   

1 टिप्पणी: